ऐतिहासिक इमारत - राजवाड़ा
Historical building - Rajwada
1) राजवाड़ा - राजवाड़ा इन्दौर शहर का ऐतिहासिक महल है । राजवाड़ा होलकर राजवंश के शासकों की ऐतिहासिक हवेली है। इस महल को मराठा साम्राज्य के होल्करों द्वारा निर्माण 1747 ई. में होलकर राजवंश के संस्थापक मल्हार राव होल्कर ने करवाया था।
इस महल की वास्तुकला, फ्रैंच, मराठा और मुगल शैली के कई रूपों और वास्तुशैलियों का मिश्रण है। जो सात मंजिला इमारत है।
यह पूरा महल लकड़ी और पत्थर से निर्मित है।
राजवाड़ा पर्यटन के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। राजवाड़ा शहर में सभी व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र था। इसके निर्माण के बाद से राजवाड़ा को तीन बार जलाया गया है। महल की निचली तीन मंजिलें पत्थर से बनी हैं, जबकि शीर्ष स्तर लकड़ी से बने हैं।
2) गांधी हॉल (Gandhi Hall )
गांधी हॉल - महात्मा गांधी हॉल इंदौर की ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। गांधी हॉल की ईमारत को 1904 में बनाया गया था तब इसका नाम किंग एडवर्ड हॉल था पर सन् 1947 में देश स्वतंत्र होने के बाद इसका नाम गांधी हॉल कर दिया गया।
इस हॉल का निर्माण प्रसिद्द वास्तुकार स्टीवेंसन ने किया था। इसके ऊपर राजपुताना शैली में गुंबद और मीनारे बनी हुई है। यह भवन सफेद सिवनी और पाटन के पत्थरों से बना है इसे इन्डोगोथिक शैली में बनाया गया है।
इसकी छत में प्लास्टर ऑफ पेरिस का इस्तेमाल किया गया था। इसका फर्श काले और सफेद संगमरमर से बना है, इसमें बीच की मीनार चोकोर आकार में बनी है और उसके उपरी हिस्से में चारों और घड़ी है, यहां बड़ी सी घड़ी होने के कारण इसे घंटाघर भी कहते है।
इसका उदघाटन नवंबर, 1905 में प्रिंस ऑफ़ वेल्स (जार्ज पंचम) द्वारा किया गया था। हॉल में पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण एक घड़ी टॉवर है। चारों तरफ मुंह वाला यह टॉवर हॉल के बीचों-बीच में स्थित है और एक गुंबद से घिरा है। हॉल में बच्चों के लिए पार्क और एक पुस्तकालय भी है।
3) कृष्णपुरा छत्री
कृष्णपुरा छत्री - कृष्णपुरा छत्री खान नदी के तट पर स्थित है। यह स्थल होलकर राजवंश के मृत शासकों की स्मृति में, कब्रों का निर्माण किया गया है। इन कब्रों को सामूहिक रूप से छत्रियों के रूप में जाना जाता है।
कृष्णपुरा छत्री 19 वीं शताब्दी के मध्य में होलकर राजवंश के मृत सदस्यों को सम्मानित करने के लिए बनाए गए थे। उनका नाम प्रसिद्ध सैन्य नेता यशवंतराव होलकर की पत्नी और मल्हार राव होलकर द्वितीय की माँ कृष्णा बाई होल्कर के लिए रखा गया है।
इस छत्री की वास्तुशिल्प बेहद सुंदर, आकर्षक, और जटिल शिल्प कौशल के साथ बनाई गई है। इस स्मारक की वास्तुकला को मराठा शैली में निर्मित किया गया है।
यहां की खूबसूरत संरचनाए हजारों की संख्या में पर्यटक यहां वास्तुकला को निहारने आते है।
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